जून का महीना था। साल 2013। केदारनाथ घाटी में एक ऐसा सैलाब आया जो हजारों जिंदगियों को अपने साथ बहा ले गया। और कर गया नेस्तनाबूत केदारघाटी को। केदारघाटी को मुख्य सड़कों से जोड़ने वाले सारे रास्ते टूट गए और हजारों लोग फंसे रह गए। ऐसे में इन लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का जिम्मा संभाला कर्नल अजय कोठियाल और नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट की उनकी टीम ने।
कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में उनकी टीम ने अपनी जान पर खेलकर ना सिर्फ हजारों लोगों को बचाया बल्कि विषम परिस्थितियों में केदारनाथ के लिए वैकल्पिक मार्ग भी तैयार किया, लेकिन कर्नल अजय कोठियाल का परिचय इतना भर नहीं है।
17 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा कर चुके अजय कोठियाल कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित व्यक्ति हैं। जब निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री थी तो उन्होंने अजय कोठियाल की तारीफ करते हुए कहा था, ‘कर्नल कोठियाल के सेल्फ मोटिवेशन के कॉन्सेप्ट को देशभर में फैलाना चाहिए। कैसे वह उत्तराखंड के युवाओं को सेना में भर्ती करने का काम कर रहे हैं। कर्नल कोठियाल के इस बेहतरीन काम से हम सभी को प्रेरणा मिलती है।”
टिहरी गढ़वाल के चौंफा गांव के मूल निवासी कर्नल अजय कोठियाल का जन्म वैसे तो पंजाब के गुरदासपुर में हुआ। लेकिन पहाड़ से वो हमेशा जुड़े रहे। और इसीलिए उन्हें गढ़वाली सरदार भी कहा जाता है। पिता के बाद बेटे अजय ने भी देशसेवा का रास्ता चुना और 90 के दशक में भर्ती हो गए। लगभग 27 साल तक अजय कोठियाल ने देश की सेवा की। और रिटायरमेंट के बाद वो पहाड़ का नक्शा और यहां के युवा की किस्मत बदलने में जुटे हुए हैं।
अजय कोठियाल ने सियाचीन से लेकर UN मिशन तक सेवा दी है। उन्होंने पर्वतारोहण के लिए भी सेना के महिला दल का नेतृत्व किया है। और शायद ही साहस का कोई ऐसा काम हो जो उन्होंने ना किया हो।
एक और कहानी आपको सुनाता हूं। कर्नल अजय कोठियाल सेना से रिटायर होकर जब नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से जुड़े तो उऩकी पोस्टिंग उत्तरकाशी में हुई। सेना से जुड़े होने की वजह से कई मां–बाप कोठियाल के पास एक उम्मीद लेकर आए। उम्मीद कि वो उनके बेटे को सेना में भर्ती करने में मदद करें। लेकिन जैसे कोठियाल जी कहते हैं… “सेना में सिफारिश तो चलती नहीं’’…. और इस तरह तैयार हुआ यूथ फाउंडेशन।
अजय कोठियाल के नेतृत्व में यूथ फाउंडेशन के 8500 युवा आज सशस्त्र बलों से जुड़ें हुए हैं। उत्तराखंड पुलिस में 48 से ज्यादा लड़कियां भर्ती हो चुकी हैं। और ये सिलसिला लगातार चलता ही जा रहा है। यूथ फाउंडेशन सेना और पुलिस में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं को ट्रेन करती है। और इस ट्रेनिंग की ना कोई फीस है और ना कोई खर्च… बस जरूरत है तो सिर्फ जज्बे की और कुछ करने की।
यूथ फाउंडेशन आज ना सिर्फ युवाओं को सेना में भर्ती करने के लिए तैयार कर रहा है। बल्कि यह अजय कोठियाल के नेतृत्व में कई अन्य सामाजिक कार्यों को करने में भी जुटा हुआ है।
अजय कोठियाल ने विवाह नहीं किया है। वो कहते हैं कि हर वो शख्स उनका अपना है, जो जरूरतमंद है। अजय कोठियाल अगर चाहते तो सेना से रिटायर होने के बाद एक आरामबस्त जिंदगी गुजार सकते थे। लेकिन वह अपने दिल में एक मिशन लेकर पहाड़ के उबड़–खाबड़ रास्तों पर चल रहे हैं। और इस रास्ते पर जहां भी उन्हें कोई जरूरतमंद मिलता है तो वो उसका हाथ पकड़कर उसे सफलता के माउंट एवरेस्ट तक पहुंचाते हैं। ऐसी महान विभूति और देवदूत को हमारा नमन।
तो दोस्तों ये थी एक छोटी सी वीडियो उस महान शख्स के बारे में… जिसके काम को एक वीडियो में समा पाना संभव नहीं। हम दुवा और उम्मीद करते हैं कि अजय कोठियाल के नेतृत्व में उत्तराखंड का युवा सफलता के नये आयाम छुए।